
स्त्री का सबसे बड़ा गुण है सील
राजनांदगांव 14 जुलाई। श्री विनय कुशल मुनि के सुशिष्य एवं 171 दिन तक उपवास का रिकॉर्ड बनाने वाले जैन मुनि वीरभद्र (विराग) जी ने आज यहां पारिवारिक विवाद और तलाक के बढ़ते मामलों के संबंध में कहा कि यह स्थिति इसलिए हो रही है लड़की देखते समय बाप दमड़ी देखता है और बेटा चमड़ी देखता है। गुण,धर्म और परिवार अब किनारे रह गए हैं, केवल चमड़ी- दमड़ी का खेल चल रहा है।
जैन बगीचा स्थित उपाश्रय भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में मुनि श्री ने कहा कि स्थितियां बदल रही है और जो लगातार बदलता रहता है, उसी को हम संसार कहते हैं। जब तक व्यक्ति नहीं बदलेगा, मान्यता नहीं बदलेगी तब तक हम आगे कैसे बढ़ पायेंगे। व्यक्ति के दुखी होने का कारण ही संतान होता है। बच्चा बड़ा हुआ तो उसकी शिक्षा- दीक्षा, स्वास्थ्य को लेकर व्यक्ति चिंतित रहता है। व्यक्ति हमेशा डर कर रहता है। संतान ठीक हुआ तो ठीक नहीं तो दुख ही दुख, बहु ठीक हुई तो ठीक नहीं तो दुख ही दुख, आज की तारीख में हर व्यक्ति डरा हुआ है और वह बहुत सावधान रहता है। उन्होंने सोनम गुप्ता और नीले ड्रम वाली घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे पतन का कारण मोबाइल, टीवी का दुरूपयोग और बच्चों को स्वच्छंद छोड़ देना है। हम अपने बच्चों को स्वच्छंद छोड़ देते हैं। बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं। बच्चों की शादी के समय हम परिवार एवं संस्कार को नहीं देखते। यही वजह है कि वृद्धा आश्रम में बुजुर्गों की संख्या एवं कोर्ट में डायवोर्स के मामले बढ़ें हैं।
मुनि श्री ने कहा कि आज से 50 वर्ष पहले न मोबाइल थी और ना कोई वृद्धा आश्रम ही था। टीवी, मोबाइल के दुरुपयोग ने हमारी संस्कृति पर कड़ा प्रहार किया है। रुचि और अपेक्षाएं संसार की ही है, सारी प्रवृत्तियां संसार की है। जब तक मोक्ष का लक्ष्य नहीं बनेगा तब तक जीवन सार्थक नहीं हो पाएगा। परंपराओं के चलते हम तक थोड़ा बहुत जो ज्ञान पहुंचा है, उसमें भी काफी रस है और इस ज्ञान का लाभ उठाते हुए हम मोक्ष मार्ग में आगे बढ़े और आत्म साधना करें।
शिक्षा, चिकित्सा और पके हुए खाने की जरुरत आज भी है
मुनि वीरभद्र (विराग) जी ने कहा कि संसार परिवर्तनशील है, आज जो है वह कल नहीं होगा किंतु शिक्षा, चिकित्सा और पके हुए खाने की जरूरत आज भी है। संसार में इन तीनों चीजों की आवश्यकता हमेशा बनी रहेगी। हम कितनी भी धन संपदा बना ले एक न एक दिन हमें इसे यही छोड़कर जाना पड़ेगा तो फिर क्यों ना हम इसका सदुपयोग करें। हम किसी जरूरतमंद की मदद करें और ऐसे काम करें कि हमारे जाने के बाद भी लोगों को हमारा कर्म याद रहे।
